शेषावतार कलाबापजी सा का जन्मोत्सव गुरूवार 24 अगस्त 2023 को शिक्षक कॉलोनी स्थित दिव्य मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ धूमधाम के साथ मनाया गया । - KARNI SENA राजपूत करणी सेना NEWS OF RAJPUTANA

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Saturday, August 26, 2023

शेषावतार कलाबापजी सा का जन्मोत्सव गुरूवार 24 अगस्त 2023 को शिक्षक कॉलोनी स्थित दिव्य मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ धूमधाम के साथ मनाया गया ।

  



नरसिंहगढ़ : राजगढ़ म.प्र.। श्री श्री 1008 श्री शेषावतार श्री कलाबापजी सा (कल्लाजी राठौड़) का जन्मोत्सव प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी 24 अगस्त 2023 को  व्यस्थापाक गादीपति श्री मोहन सिंह जी मकवाना ठिकाना हिनोतिया के द्वारा गुरुगादी धाम शिक्षक कॉलोनी में धूमधाम से मनाया गया जिसका प्रारम्भ सुबह 8 बजे वैदिक पूजन कर किया गया उसके उपरांत शिवअभिषेक एवं दोपहर 12 बजे हवन किया गया व संध्या 7 बजे मातरानी की महाआरती के साथ समापन किया गया। जन्मोत्सव में सुबह से ही श्रृद्धालुओ का आना-जाना लगा रहा सभी को प्रशादी वितरित की गई।

श्री श्री १००८ शेषावतार कला बापजी सा का जन्मोत्सव गुरूवार 24 अगस्त 2023 को शिक्षक कॉलोनी स्थित दिव्य मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ धूमधाम के साथ मनाया गया । 

 

नरसिंहगढ़ महाराज लोकप्रिय विधायक राज्यवर्धन सिंह जी द्वारा समाज वरिष्ठ सरदारों व ब्लॉक अध्यक्ष अमरसिंह जी बिकावत जिला अध्यक्ष मादरूप सिंह जी सोनगरा के साथ व्यस्थापाक गादीपति - मोहन सिंह मकवाना श्रीमती कृष्णा मकवाना (जीजा) हुकुम का साल व पुष्प गुच्छ द्वारा सम्मान किया गया साथ ही पूर्व विधायक गिरीश जी भंडारी , ब्यावरा पूर्व विधायक पुरषोत्तम दांगी जी द्वारा भी सम्मान किया गया। भारी संख्या में मातृशक्ति व श्रद्धालुओं ने कला बापजी की दिव्य चेतना से ओतप्रोत होकर आशीर्वचन , दर्शन लाभ और आर्शीवाद प्राप्त किया।


उपस्थित रहे - नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती कविता वर्मा , श्रीति मंजुलता शिवहरे , सीएमओ  निगहत सुल्ताना जी , समबुद्ध प्रणिता जी , रचना जी भोपाल , सुंदरपुरा गजेंद्र बना , भगवान सिंह जी , महेश्वर सिंह जी , प्राणपाल सिंह जी मुवालिया, राजेंद्र सिंह जी सवासी , राजेंद्र सिंह पाडल्या बना , विश्वनाथ सिंह बना , महंत दीपेंद्र दास , रघुनंदन सिंह परमार, नागेंद्र सिंह झाला, राजेंद्र सिंह उमठ , रूपेश सिंह भास्कर संवाददाता, प्राणपाल सिंह खींची राज एक्सप्रेस संवाददाता , प्रदीप शर्मा नई दुनिया , प्रेमनारायण विजयवर्गीय , प्रदीप गुप्ता ,गिरीश गुप्ता , भानु जी राजगढ , शुक्ला जी उज्जैन , विनोद पालीवाल, प्रदीप गुप्ता , सचिन सक्सेना , विपिन भिहानी , गिरीश गुप्ता किशोर सिंह जी बडबेली सोहनसिंह बड़ोदिया तालाब , इंद्रजीत सिंह बरखेगा डोर एवं नगर व बाहर से पधारे सभी श्रद्धालुओं को कला बापजी परिवार की और से ह्रदय से आभार व बापजी सा का बहूत आर्शीवाद 🙏

इस अवसर नरसिंहगढ़ और आस पास के सभी गण्यमान्य व्यक्ति दर्शन हेतु पधारे जिनमे मुख्यरूप से विधायक महाराज श्रीमंत राज्यवर्धन सिंह जी , पूर्वविधायक श्री गिरीश भंडारी जी, ब्यावरा पूर्व विधायक श्री पुरुषोत्तम दांगी जी, श्री मदरूप सिंह जी बड़ोदिया तालाब, अमर सिंह जी बीकावत आदि सहित नगर के सभी गण्यमान्य व्यक्तियों ने दर्शन लाभ लिया। https://www.narsinghgarh.com/2023/08/kalla-ji-rathore-history-in-hindi.html 



  जन्मोत्सव समापन संध्या महाआरती के साथ किया गया।


 गुरुगादी से जीजा हुकुम ने संध्या आरती के उपरांत जो बातें कहीं वह समस्त हिन्दू समाज के लिए बहुत ही चिंता का विषय है आपने फ़रमाया कि हिंदू समाज संस्कार विहीन होकर अब बदतमीज होता जा रहा है धार्मिक आयोजन और मंदिरों में आकर बात करता है जबकि मंदिरों में आपस में बात ना करके अपितु भगवान का नाम  सुमिरन करना चाहिए, राम मंदिर में हो तो सीताराम जपो , कृष्ण मंदिर में हो तो हरे कृष्णा, ॐ नमो भगवते वासुदेवा जपो और  शिवालय में हो तो ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं  जपना चाहिए लेकिन आपस में बात, वार्तालाप बिलकुल भी नहीं करना चाहिए लेकिन आजकल लोग मंदिरों में शांत नहीं बैठते और आपस में वार्तालाप करते रहते हैं जबकि अन्य धर्म के लोग शांति पूर्ण बैठते हैं आप चर्च में मस्जिद में, गुरुद्वारे में, जैन मंदिरों में जा कर देखे वहा कोई आपस में वार्तालाप नहीं करता सब शांत भाव से आपने अपने भगवान को याद करते है जबकि हिन्दू धर्म के  लोग अब मंदिरों में ज्यादा चर्चाएं करने लगे जो कि अब शास्त्र एवं संस्कार विहीन होने के बाद बदतमीजी की ओर आगे बड़ रहे  है यह गलत है हमें इसे सुधारना होगा मंदिर और सत्संग स्थलों में आपसी वार्तालाप करना तुरंत बंद करना होगा सिर्फ अपने ईष्टदेव, हमारे देवी देवताओं का नाम मन ही मन जपना चाहिए











Kalla Ji Rathore History in Hindi 

श्री श्री १००८ शेषावतार कलाबापजी सा कल्ला जी राठौर के बारे में विस्तृत जानकारी। 



लोकदेवता कल्लाजी राठौड़, जिसका उपनाम 'कल्ला जी' कालाबाप जी भी  है, एक आध्यात्मिक पुरुष होने के साथ-साथ एक वीर योद्धा भी थे। वर्ष 1568 में अकबर द्वारा चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर चलाए गए हमले के वक्त, कल्लाजी राठौड़ ने अपूर्व वीरता का परिचय दिया और वीरगति प्राप्त की। 

कल्लाजी राठौड़ को चार हाथों वाला देवता, दो सिर वाला देवता, बाल ब्रह्मचारी और कमधेनु भी कहा जाता है। इन्हें शेषनाग का अवतार भी कहा जाता है और उनके चित्रों में हम इन्हें नाग के स्वरूप में देखते हैं।

कल्लाजी राठौड़ का जन्म वर्ष 1544 ईसवी में मेड़ता के गांव सामियाना (जिला नागौर) में हुआ था। उनके पिता का नाम आस सिंह था और माता का नाम श्वेत कंवर था। उनके पिता के बड़े भाई जयमल राठौड़ मेड़ता के शासक थे और प्रसिद्ध भक्त मीराबाई उनकी बहन थीं। 

कल्लाजी को जड़ी-बूटियों के बारे में अच्छा ज्ञान था और उन्हें योग की भी अच्छी जानकारी थी। उन्होंने योग की शिक्षा अपने गुरू, प्रसिद्ध योगी भैरवनाथ से प्राप्त की थी। 

एक बार अकबर ने मेड़ता पर हमला किया और उसे कब्जे में ले लिया। स्वाभिमानी जयमल राठौड़ ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मेड़ता। https://www.narsinghgarh.com/2023/08/kalla-ji-rathore-history-in-hindi.html


1. लोकदेवता कल्लाजी राठौड़ एक आध्यात्मिक पुरुष होने के साथ-साथ एक वीर योद्धा भी थे। उन्होंने वर्ष 1568 में अकबर द्वारा चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर किये आक्रमण का प्रतिरोध करते हुए असाधारण वीरता का परिचय दिया और वीरगति प्राप्त की थी। 


2. कल्लाजी राठौड़ के उपनाम।

कल्ला जी  को चार हाथों वाला देवता, दो सिर वाला देवता, बाल ब्रह्मचारी व कमधण एवं कला बाप जी भी कहा जाता है। इन्हें शेषनाग का अवतार भी माना गया है। इनके चित्र में भी हम इन्हें नाग के स्वरूप में देखते हैं।


3.लोकदेवता कल्लाजी का सामान्य परिचय।

कल्लाजी राठौड़ का जन्म वर्ष 1544 ईसवी में मेड़ता के गांव सामियाना (जिला नागौर) में हुआ था। इनके पिता का नाम आस सिंह था (कहीं-कहीं यह नाम अचल सिंह भी मिलता है)। इनकी माता का नाम श्वेत कंवर था। इनके पिता के बड़े भाई जयमल राठौड़ मेड़ता के शासक थे। प्रसिद्ध भक्त मीराबाई इनके इनके पिता की बहन थीं। 


4.कल्लाजी की योग्यता।

कल्लाजी को जड़ी-बूटियों के बारे में अच्छा ज्ञान था। उन्हें योग की भी अच्छी जानकारी थी। कल्लाजी ने योग की शिक्षा अपने गुरू प्रसिद्ध योगी भैरवनाथ से ली थी। 


5.कल्लाजी का मेड़ता छोड़कर चित्तौड़ जाना।

एक बार अकबर ने मेड़ता पर आक्रमण कर दिया और उस पर कब्जा कर लिया। अकबर ने जयमल राठौड़ से अपनी अधीनता स्वीकार करने को कहा। स्वाभिमानी जयमल राठौड़ ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मेड़ता छोड़कर चित्तौड़ के महराणा उदय सिंह के पास चले गए। कल्लाजी भी अपने ताऊ जयमल के साथ चित्तौड़ चले गए।

चित्तौड़ पर अकबर का घेरा

वर्ष 1567 में अकबर ने चित्तौड़ के किले पर घेरा डाल दिया। अकबर की बड़ी सेना देखकर मंत्रियों ने महाराणा उदयसिंह को किले से सुरक्षित निकाल कर गोगुन्दा भेज दिया। महाराणा उदयसिंह चित्तौड़ के किले की सुरक्षा का दायित्व जयमल मेड़तिया और फतहसिंह सिसोदिया को सौंप कर गए थे। जयमल और फतह सिंह की जोड़ी इतिहास में जयमल-फत्ता के नाम से प्रसिद्ध है। 


6.चार हाथों वाले देवता 

चित्तौड़ का घेरा चलते हुए 1568 आ गया। एक दिन किले की दीवार की मरम्मत करा रहे जयमल मेड़तिया के पैर में एक गोली आ लगी। कहते हैं कि यह गोली अकबर ने अपनी प्रसिद्ध बंदूक संग्राम से चलाई थी। गोली लगने के कारण जयमल मेड़तिया चलने फिरने में असमर्थ हो गए। उसी समय किले की महिलाओं ने जौहर और पुरुषों ने केसरिया करने का निर्णय लिया। यह चित्तौड़ का तीसरा शाका था। जयमल को चलने-फिरने में असमर्थ पाकर उनके भतीजे कल्लाजी राठौड़ ने उन्हें अपने कंधों पर बिठा कर युद्ध लड़ा। दो तलवारें कल्लाजी के दोनों हाथों में थीं और दो तलवारें जयमल मेड़तिया के दोनों हाथों में थीं। इस तरह एक साथ चार तलवारें चलती देख लोगों ने उन्हें चार हाथों वाला देवता कहा। इस युद्ध के बड़ी संख्या में शत्रुओं का संहार करने के बाद कल्लाजी और जयमल दोनों ही वीरगति को प्राप्त हुए। 


7.चित्तौड़ के किले में बनी है छतरी।

कल्लाजी की छतरी चित्तौड़ के किले में बनी है। चित्तौड़ के किले के एक द्वार का नाम भैरव पोल है, यह भैरव पोल का नाम कल्लाजी के गुरु भैरवनाथ के नाम पर है। कल्लाजी की याद में चित्तौड़ के किले में अश्विन शुक्ल नवमी के दिन एक मेला आयोजित होता है।


8.रनेला में है प्रमुख उपासना स्थल। Kalla ji Rathore Temple Ranela 

कल्लाजी का प्रमुख उपासना स्थल रनेला गांव (तहसील सलूम्बर-जिला उदयपुर) में है। डूंगरपुर जिले के समालिया स्थान पर भी इनका एक प्रसिद्ध उपासना स्थल है, जहां एक काले पत्थर की इनकी प्रतिमा है। इस स्थान पर इन्हें केसर और अफीम चढ़ाई जाती है। इसके अलावा बांगड़ क्षेत्र (बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले) में इनके सौ मन्दिर और भी हैं। स्थानीय भील जाति के लोगों में इनके प्रति बड़ी आस्था है। 

साभार सोर्स  https://www.narsinghgarh.com/2023/08/kalla-ji-rathore-history-in-hindi.html


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