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Monday, October 9, 2017

अपील !!! अनुरोध !!! प्रार्थना !!! 

प्रति ,  
परम आदरणीय, 
                      
                श्री लोकेन्द्र सिंह जी कालवी साहब , 
                श्री *सुखदेव सिंह जी गोगामेड़ी,
                श्री *महिपाल सिंह जी मकराना ,
                                 ( करणी सेना )
                        
विषय :- श्री माँ करणी के आशीर्वाद से इस सेना की एकता बनाये रखे इसे दो धड़ो में ना बाटने देवे ।  

                                  श्री कालवी साब और श्री सुखदेव सा. आप दोनों आदरणीय को कुछ भी सुझाव देना या बताना "सूरज को दिया दिखाने के सामान है" फिर भी मै यह गलती कर रहा हु इसके लिए मुझे क्षमा करे। आपकी कीर्ति समाज में सर्वोपरि है आपने वर्षो से विघटित राजपूत समाज को एक जाजम पर ला दिया है, पर अब इसे दो धड़ो में बटने से आप दोनों ही रोक सकते है। 

जैसा की हम सब जानते है अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभभी दो भागो में बट चुकी है एक बाकानेर तो दूसरी अमेठी।  इसमें किसी एक की कोई गलती नहीं है जैसा की आदरणीय शेरसिंह जी राणा साहब ने अपने एक उद्बोधन में कहा था की दो संगठन बनने का कारण "हमारे खून में उबाल भर्ती नेत्तृत्व क्षमत है जो राजपूतो में कूट कूट के भरी हुई है। " ,   इसीलिए दोंनो ही अच्छे सामाजिक कार्य पुरे देश में कर रही है पर दो फाड़ स्पष्ट नजर आ रही है जो दूसरे समाज के लोग में हसी का कारण बन रही है। दूसरे समाज के लोग कटाक्ष करते है की आपके एक ही नाम के तो संगठन भी दो-दो  है तो फिर कैसी सामाजिक एकता??? झूठा दिखाव क्यों करते हो। राजपूत समाज के एक ही संगठन आ.भा.क्ष.महासभा के प्रत्येक शहर,तहसील व जिले  में समाज के दो दो अध्यक्ष है और युवा व् वरिष्ठ को मिला कर एक नगर में ४-अध्यक्ष है और अन्य क्षेत्रीय ऐसे 11000  राजपूत संगठन चल रहे है उनके भी अध्यक्ष है पर उनका एक ही अध्यक्ष है।
और अब करणी सेना के भी दो-दो अध्यक्ष तहसील व जिले में देखने को मिल रहे है और एक दूसरे के सामाजिक कार्यो का बहिस्कार कर रहे है।  यह भी अब हँसी का कारन बनत जा रहा है  अन्य समाज तो यही चाहता है अग्रेजो ने जो किया और इन राजपूतो पर राज किया वही करो।  फुट डालो और राज करो इन राजपूतो पर।  आप दोनों इस करणी सेना को एक कर सकते है समाज हित में किसी एक को छोटा भाई  बन कर झुकना पड़ेगा और एक को बड़ा भाई बन कर माफ़ करना पड़ेगा  इसके अलाव अब और कोई विकल्प नहीं बचा।
आप तो पुरे देश के राजपूत समाज के शिरोमणि हो आपको फर्क नहीं पड़ता पर हम जैसे छोटे कार्यकर्त्ता जो एक नगर या जिले में है उनमे आपस में दुवेशता बढ़ती जा रही है। इसका जल्दी हल निकाले।
 ये दोहे  "नमन जगत में श्रेष्ट है... ,क्षमा बड़न को..."  हम सब ने सुन रखे है। 

इसके हेतु मेरे निम्नलिखित विकल्प या सुझाव है। जिससे आप दोनों ही दो संगठनों को एक साथ चला सकते है और हमारी ताकत भी दोगुनी हो जायगी जब राजपूताने के दो शेर एक साथ आ जायगे।  कृपया एक बार विचार जरूर करे। karnisena.com

कृपया मेरे सुझाव की विस्तृत जानकारी हेतु इस लिंक पर क्लिक करे 👇🏻
http://karni-sena.blogspot.in/2017/07/shri-maa-karni-sena-political-party-in.html?m=1

👆🏻उपरोक्त लैटर मेने  25 जुलाई 2017 को लिखा था पर *आप दोने वरिष्ट ने ध्यान नही दिया* और उसके बाद का तमाशा सारे भारत मे T.V. चैंनल पर Live देखा ओर हमे आपस मे लड़ाने वाले कामयाब हो गये।
यह सब साजिश हमारी एकता में फुट डालने की है जो राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले कर रहे है।
कुछ गलत बोलने के लिए क्षमा चाहता हु।

आपका छोटा भाई
कु.मयंक प्रताप सिंह मुआलिया
7566688843

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